।। ब्रह्मांड का शक्तिशाली मंत्र ।।
(ॐ परम तत्वाय नारायणाय गुरूभ्यो नमः )
गुरुमंत्र देवता का नाम, मंत्र, अंक अथवा शब्द होता है जो गुरु अपने शिष्य को जप करने हेतु देते हैं । गुरुमंत्र के फलस्वरूप शिष्य अपनी आध्यात्मिक उन्नति करता है और अंतत: मोक्ष प्राप्ति करता है । वैसे गुरुमंत्र में जिस देवता का नाम होता है, वही विशेष रूप से उस शिष्य की आध्यात्मिक प्रगति के लिए आवश्यक होते हैं ।
मोक्ष प्राप्ति, एक व्यक्ति के जीवन की सर्वोच्च आध्यात्मिक अनुभूति होती है, उसे र्इश्वर के साथ एकरूप हो जाने का अनुभव होता है; निरंतर आनंद की अनुभूति होती है ।
शिष्य ऐसा साधक होता है, जिसका आध्यात्मिक स्तर ५५ % हो । इसका अर्थ है, शिष्य वह है जो साधना के लिए अपने तन, मन, धन का त्याग ५५ % से अधिक करता हो, और आध्यात्मिक उन्नति हेतु उसमें तीव्र लगन हो । ऐसे ही गुरु हमारे सामने उपस्थित हे जिन्हें हम पहचान नहीं पाह रहे पुज्य गुरुदेव का इस धरा पर अवतरण होना एक महान घटना हे तथा सद्गुरुदेव दुआरा दिए जाने वाले सभी मंत्र अपने आप में प्रमाणिकता लिए होते हे इसलिये प्रत्येक निखिल शिष्ये को पुरे मन से श्रद्धा से इनका जाप करना चाहिए तभी यह फलीभूत होंगे क्योंकि पूज्नीय सद्गुरुदेव यही कहते थे की साधना में सफलता के मात्र एक ही आधार हे इसमें आपको पूर्ण श्रद्धा और विश्वास होना चाहिए तभी आपको भौतिक और आध्यात्मिक सफलता प्राप्त होगी ही।
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